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भारतीय पारंपरिक आभूषण
(भाग 1 )
आभूषण भारतीय संस्कृति का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो न केवल सौंदर्यवर्धन के लिए पहने जाते हैं, बल्कि इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी होता है। भारतीय आभूषणों में सोने, चांदी, हीरे, जवाहरात और अन्य रत्नों का उपयोग किया जाता है। इन आभूषणों का निर्माण स्थानीय कारीगरों द्वारा विभिन्न कलाओं में किया जाता है, जिनमें कलात्मकता और शिल्प कौशल की झलक मिलती है।
1. हार
हार भारतीय महिलाओं का एक प्रमुख आभूषण है, जो आमतौर पर गहनों की सबसे महत्वपूर्ण श्रेणी में आता है। हर राज्य में हार का डिजाइन और रूप अलग होता है। उदाहरण के लिए, दक्षिण भारत में ‘मंगलसूत्र’ एक पारंपरिक हार होता है जो शादी के बाद पहनना जाता है। वहीं उत्तर भारत में विभिन्न प्रकार के ‘कला हार’ बहुत प्रसिद्ध हैं।
2. बिचुए और कड़ा
पारंपरिक भारतीय पहनावे में बिचुए (पायल) और कड़ा (चूड़ियां) भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। बिचुए महिलाओं के पैरों की सुंदरता को बढ़ाते हैं, वहीं कड़ा हाथों की खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। ये आभूषण न केवल सजावट के लिए होते हैं, बल्कि कई जगहों पर इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी होता है।