首页 > सीसु न्यूज़ >
भारतीय वस्त्रों की विविधता
भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार के पारंपरिक वस्त्रों की परंपरा रही है। इन वस्त्रों की डिज़ाइन और कारीगरी स्थानीय कला और संस्कृति से प्रेरित होती है। यही कारण है कि भारतीय वस्त्रों में इतनी विविधता है। हर राज्य में इन वस्त्रों के पहनने का तरीका और उनका महत्व अलग होता है।
1. साड़ी
भारत की सबसे पहचानने योग्य पारंपरिक वस्त्र साड़ी है। यह एक लंबा कपड़ा होता है जिसे महिला शरीर के चारों ओर लपेटा जाता है। साड़ी का इतिहास बहुत पुराना है और यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। साड़ी का पहनावा राज्य, वर्ग और अवसर के आधार पर बदलता रहता है। जैसे तमिलनाडु में ‘कांचीवरम’ साड़ी प्रसिद्ध है, वहीं उत्तर भारत में बनारसी साड़ी का विशेष महत्व है। साड़ी न केवल एक वस्त्र है, बल्कि यह भारतीय महिलाओं की गरिमा, सौंदर्य और पहचान का प्रतीक है।
2. सलवार-कुर्ता और कुर्ता-पायजामा
सलवार-कुर्ता और कुर्ता-पायजामा भारतीय पुरुषों और महिलाओं के पारंपरिक वस्त्र हैं, जो भारतीय पहनावे में आज भी बहुत प्रचलित हैं। यह वस्त्र आरामदायक होते हुए भी पारंपरिक रूप में एक विशिष्टता रखते हैं। पुरुषों का कुर्ता-पायजामा और महिलाओं का सलवार-कुर्ता खास अवसरों पर पहना जाता है, जैसे शादी-ब्याह और त्योहारों में।
3. लहंगा-चोली
लहंगा-चोली भारतीय महिलाओं के पारंपरिक पहनावे में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, विशेषकर राजस्थान, गुजरात और उत्तर भारत में। यह पहनावा शादियों और खास अवसरों पर पहना जाता है। लहंगा-चोली की खूबसूरती और डिजाइन में अनेक विविधताएँ पाई जाती हैं, और यह भारतीय कारीगरी का बेहतरीन उदाहरण है।